The best Side of Shodashi

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चत्वारिंशत्त्रिकोणे चतुरधिकसमे चक्रराजे लसन्तीं

अष्टैश्वर्यप्रदामम्बामष्टदिक्पालसेविताम् ।

ध्यानाद्यैरष्टभिश्च प्रशमितकलुषा योगिनः पर्णभक्षाः ।

Saadi mantras tend to be more accessible, useful for normal worship and also to invoke the existence from the deity in daily life.

The practice of Shodashi Sadhana is usually a journey in direction of both equally pleasure and moksha, reflecting the twin mother nature of her blessings.

अष्टारे पुर-सिद्धया विलसितं रोग-प्रणाशे शुभे

काञ्चीपुरीश्वरीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥१०॥

तरुणेन्दुनिभां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥२॥

ह्रीङ्काराम्भोधिलक्ष्मीं हिमगिरितनयामीश्वरीमीश्वराणां

लब्ध-प्रोज्ज्वल-यौवनाभिरभितोऽनङ्ग-प्रसूनादिभिः

Philosophically, she symbolizes the spiritual journey from ignorance to enlightenment and is particularly connected with the supreme cosmic electrical power.

कामाक्षीं कामितानां वितरणचतुरां चेतसा भावयामि ॥७॥

‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?

मन्त्रिण्या read more मेचकाङ्ग्या कुचभरनतया कोलमुख्या च सार्धं

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